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अबूझमाड़-1 / श्रीप्रकाश मिश्र
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अबूझमाड़ के जंगलों में
हम अकेले नहीं चलते
लोगों के साथ चलते हैं
गोल बाँधकर एक बराबर से नहीं
आगे पीछे
पीछे से आगे वाले को देखते हुए
कोई धमाका हुआ
कोई सुरंग फटी
आगे वाला उड़ गया
तो बदल देंगे हम अपनी राह
सकुशल चलता गया
तो हम चलते जाएँगे
उसके पीछे-पीछे
गंतव्य तक
अबूझमाड़ के जंगलों में
लिबरेटेड ज़ोन में
हमारा पथ-निदेशक
किसी की निर्दोष जान होती है ।