♦ रचनाकार: अज्ञात
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देह से हो हंसा निकल गया,
हंसा रयण नी पाया
(१) पाँच दिन का पैदा हुआ,
छटी की करी तैयारी
आधी रात का बीच म
छटी लिखी गई लेख...
देह से...
(२) सयसर नाड़ी बहोत्तर कोटड़ी,
जामे रहे एक हंसा
काडी मोडी को थारो पिंजरो
बिना पंख सी जाय...
देह से...
(३) चार वेद बृम्हा के है,
सुणी लेवो रे भाई
अंतर पर्दा खोल के
दुनिया म नाम धराई...
देह से...
(४) गंगा यमुना सरस्वती,
जल बहे रे अपार
दास कबिर जा की बिनती
राखौ चरण आधार...
देह से...