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मानो बचन हमारो रे,राजा / निमाड़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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मानो बचन हमारो रे,राजा,
मानो बचन हमारो
(१) भिष्म करण दुर्योधन राजा,
पांडव गरीब बिचारा
पाचँ गाँव इनक दई देवो
बाकी को राज तुम्हारो...
रे राजा...
(२) गड़ गुजरात हतनापुर नगरी,
पांडव देवो बसाई
दिल्ली दंखण दोनो दिजो
पुरब रहे पिछवाड़ो...
रे राजा...
(३) किसने तुमको वकील बनाया,
कोई का कारज मत सारो
राज काज की रीती नी जाणो
युद्ध करी न लई लेवो...
रे राजा...