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चन्दन के चार पावा लगे / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चन्दन के चार पावा लगे हैं
रेशम लागी अरदवानि हाँ-२

मैङै में बैइठे बन्ने के बाबा खेल जूआँ खेंलहि हाँ
हँसि हँसि पूछै बन्ने की दादी
का रे पिया तुम जीत्यौ हाँ
धन भले जीत्यौ, दहेज भले जीत्यौ
जीत्यौ दूध कटोरा हाँ, चंदा सूरज जैसी बहु औरु
जीत्यौ अपने चढ़न केरो घोड़ा हाँ

मैङै में बैइठे बन्नी के बाबा खेल जूआँ खेंलहि हाँ
रोए रोए पूछै बन्नी की दादी
का रे पिया तुम हारौ हाँ
धन भले हारौ, दहेज भले हारौ
हारौ दूध कटोरा हाँ, चंदा सूरज जैसी बिटिया औरु
हारौ अपने चढ़न केरो घोड़ा हाँ

चन्दन के चार पावा लगे हैं
रेशम लागी अरदवानि हाँ-२

मैङै में बैइठे बन्ने के पापा खेल जूआँ खेंलहि हाँ
हँसि हँसि पूछै बन्ने की मम्मी
का रे पिया तुम जीत्यौ हाँ
धन भले जीत्यौ, दहेज भले जीत्यौ
जीत्यौ दूध कटोरा हाँ, चंदा सूरज जैसी बहु औरु
जीत्यौ अपने चढ़न केरो घोड़ा हाँ

मैङै में बैइठे बन्नी के पापा खेल जूआँ खेंलहि हाँ
रोए रोए पूछै बन्नी की मम्मी
का रे पिया तुम हारौ हाँ
धन भले हारौ, दहेज भले हारौ
हारौ दूध कटोरा हाँ, चंदा सूरज जैसी बिटिया औरु
हारौ अपने चढ़न केरो घोड़ा हाँ