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चिक डाल दो कमरे में / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चिक डाल दो कमरे में बन्नी कैरम खेलेगी-२
अगर मैं बाजी जीती तो सुबह का नाश्ता बना देना
अगर मैं बाजी जीता तो तेरी दादी को ले जाऊँगा
उन्हें दादा के संग रक्खूँगा, नहीं फिर आने देने का

चिक डाल दो कमरे में बन्नी कैरम खेलेगी
अगर मैं बाजी जीती तो सुबह के कपड़े धो देना
अगर मैं बाजी जीता तो तेरी मम्मी को ले जाऊँगा
उन्हें पापा के संग रक्खूँगा, नहीं फिर आने देने का

चिक डाल दो कमरे में बन्नी कैरम खेलेगी
अगर मैं बाजी जीती तो सुबह के बर्तन धो देना
अगर मैं बाजी जीता तो तेरी भाभी को ले जाऊँगा
उन्हें भईया के संग रक्खूँगा, नहीं फिर आने देने का

चिक डाल दो कमरे में बन्नी कैरम खेलेगी
अगर मैं बाजी जीती तो रात का बिस्तर लगा देना
अगर मैं बाजी जीता तो तेरी दीदी को ले जाऊँगा
उन्हें जीजा के संग रक्खूँगा, नहीं फिर आने देने का