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कुछ लतीफों को सुनते सुनाते हुए / पवन कुमार
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कुछ लतीफों को सुनते सुनाते हुए
उम्र गुजरेगी हंसते हंसाते हुए
अलविदा कह दिया मुस्कुराते हुए
कितने गम दे गया कोई जाते हुए
सारी दुनिया बदल सी गयी दोस्तो
आँख से चंद पर्दे हटाते हुए
सोचता हूँ कि शायद घटें दूरियां
दरमियां फासले कुछ बढ़ाते हुए
एक एहसास कुछ मुख़्तलिफ सा रहा
सर को पत्थर के साथ आजमाते हुए
जिंदगी क्या है क्यों है पता ही नहीं
उम्र गुजरी मगर सर खपाते हुए
याद आती रहीं चंद नदियाँ हमें
कुछ पहाड़ों में रस्ते बनाते हुए
चाँद है गुमशुदा तो कोई गम नहीं
चन्द तारे तो हैं टिमटिमाते हुए