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अपनी दुनिया में घिरा आदमी / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

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आदमी घिरा है
अपनी दुनिया में
मोबाईल, इंटरनेट और अब
ब्लॉग का बखेड़ा
पहले एस.एम.एस. कर कहेगा
पढ़ना, राय देना
कैसा लगा ?
चलन इन दिनों चल पड़ा है
और तो और
फ्लेप मैटर लिखवाने का चलन
अपने ही घर पर
किताब चर्चा जलपान
अधिक उत्साह हुआ तो तीखा पान
लोग आदी है दूसरों की
आदतों के; इसलिए आजमाते
रहते हैं
आजमाने में जाता ही क्या है ?
शादी-शुदा महिलाएं आजमा रही हैं
कई-कई तरीके
लिव इन रिलेशनशिप का
जमाना है
जमाना बदल चुका है जनाब
पहले नमकपारे घर में बनते थे
मट्ठी और शक्करपारे भी
पर अब
मेहनत से नाता तोड़
टी वी से नाता जोड़ रखा है
हमारी महिलाओं ने
बेशक घर की चिंता नहीं
पर
करवाचौथ पर नई साड़ी
नये गहने
शीशे के सामने इतराएगी
प्यारे पति को दुलराएगी
सुनिए जी !
जरा जल्दी आ जाना
पानी तुम्हारे हाथों से ही
पिऊंगी
इकलौता पति बड़बड़ाता हुआ घसीटता हुआ
चल पड़ा शाम को लौट आने को
कई किस्से एक साथ चल रहे होते हैं
जी फंड से लोन, मोबाईल का बिल
शादी में गिफ्ट्, फ्लाने की शादी
साले के गृह-प्रवेश का पंगा
साली को कुछ ‘और’
यानी हर तरह का झटका
सहने का आदी है
हमारा आप सबका
सरकारी नौकर
रेवती का मिस्टर
करूणा का हसबैंड
शिल्पा का डार्लिंग
स्वीटी का पप्पू
बेचारा पति
नत्थू बना रहता है
यूं ही चलती रहती है चक्की
जीवन की
हमारी शैली ही कुछ ऐसी है
ढाबे पर जायेंगे
चार लच्छा परांठा मक्खन
मार के
दो दाल मक्खनी बाद में
पहले पनीर टिक्का
चिकन मलाई टिक्का
जरा चटनी जोरदार लाना
इस तरह के ऑर्डर दिए जाते हैं
जबान चटेारी है जनाब
डाक्टर कमा रहे है।
आखिर ज्यादा खायेंगे
तो पचायेंगे कैसे ?
हाइ ब्लड प्रेशर, यूरिक एसिड
और न जाने क्या-क्या
मेल कीजिए, ब्लॉग-ब्लॉक
खेलिए, अजब तमाशा
दुनिया का देखिए
कई-कई घंटे डटे रहे
और पायें सरवाइकल का पैन
बिल्कुल फ्री !
लेना चाहेंगे...
अक्सर दिवाली से पहले
सेल-सेल और भारी सेल
के
पोस्टर दिमाग हिला देते हैं
जेबें ढीली होंगी
क्रेडिट कार्ड का बिल
पत्नी की मुस्कराहट के
सामने
सब है बेकार
नशा टूटते ही
होंगे सपने धाराशायी
इसकी नहीं परवाह
जब आएगा बिल
तब देखा जाएगा!
चौराहे पर बिजी है सिपाही
सेवक राम जी
‘एंट्री’ लेते हैं
परिवार बड़ा है
‘ऊपर’ तक देते हैं
ऐसे सेवक राम जी
हर शहर में
मुस्तैद है
सेवारत हैं आकाओं के
भक्त हैं
और ‘गुरु’ अपने-शिष्यों के
बेहद चाहते हैं
कोई भी चैनल बदलें आप
संसार मिथ्या है
जमाना खराब है
प्रभु में मन लगाएं
गहरी सांस खींचिए
दान दीजिए
मोह-माया में क्या रक्खा है
दान दीजिए
जमीन दीजिए
आश्रम में सेवा करें
यहीं रहें
प्रभु की शरण में रहे
मोक्ष मिलेगा
स्वर्ग यही आनंद यही
सब कुछ यही
प्रभु में मन लगा
हम में मन रमा
हम है सेवक
सच्चे प्रतिनिधि
अनेक संस्थाएं भी
द्वार-द्वार पर हैं
चाहे नेत्रहीन हों या आपदा
ग्रस्त बंदों की मदद हेतु
विकसित संगठन
जो केवल अपने को समृद्ध
करने में लगे हुए हैं
आम आदमी
वहीं जहां वह पहले था
बहू-बेटों से सताया हुआ
और हमारे संत
महंगी कारों में
पूरी शिद्दत के साथ
मेवों का प्रसाद
चखते हुए अति विशिष्ट
व्यक्ति से मंत्रणा में
व्यस्त है
किसका कल्याण होगा
यह आप भी जानते हैं और
मैं भी
तो पागल मत बनिए
पर सुनता है कौन
जब होश आता है तब तक
रही-सही पंूजी खत्म हो
चुकी होती है
और मोक्ष मिल गया
होता है
क्या आपको भी
चाहिए मोक्ष
तो गुरु मंत्र दे सकता हूँ