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पड़ोसी / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

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इमारत बनाता रहा
एक के ऊपर एक
चाहे कोई मरे
उसकी बला से
जेब मेें नोट तो
रोज दीवाली
वरना
दिवालिए है आज सभी
मदद को ना आगे आता
कोई
मदिरा के लिए
आते हैं सभी
फर्क़ आप जानते ही हैं
बुढ़िया की मदद को
कौन भागा
कमसिन की मदद को
आगे सभी
वाहे रे प्रभु !