भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिता / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:39, 12 मई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालित्य ललित |संग्रह=समझदार किसि...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
पिता बनाता रहा
ता-उम्र योजना
बच्चों को पढ़ाऊंगा
बड़ा अफसर बनाऊंगा
निकम्मों ने समय को ना समझा
एक कट मरा
दूसरा जल मरा
और
तीसरा
पड़ोसन की बेटी को
फुसलाकर ले भागा
और
पिता बौखला गया
पगला गया
मेरे बेटे
तीन बेटे ...
इससे अच्छा तो ना होेते
काहे के बेटे ...
कैसे बेटे
निकम्मे बेटे !!