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स्त्रियाँ / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
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चींटियां चलती हैं तो
साथ-साथ
मिलती हुई चलेगी
बतियाती हुई चलेगी
कानों-कान करती हुई चलेगी
बिल्कुल
तुम्हारी हमारी जटिलताओं-सी
फिर
अचानक
किसी के अहम का
शिकार हो जाती हैं
चींटियां और यदा-कदा
महिलाएं
अखबार भरे पड़े हैं
जेसिका लाल, गीतिका शर्मा
इत्यादि-इत्यादि
और
अहम का वर्चस्व जारी है
अनेक रूप में
अनेक रंग में
क्या स्त्रियां चींटियां हैं
जिन्हंे जब कोई
दबा दे
निपटा दें
या
निबट लें