भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उस अहसास को / नीरज दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:01, 16 मई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रंगीन तितलियों-सी
आती है कविताएं
देखने में उन्हें
खो जाता हूं मैं
और इस अहसास को
एक स्मृति के रूप में
बस लिख देता हूं.....
कागज पर
शब्दों के सहारे
कभी-कभी!