भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम का समय / नीरज दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:49, 16 मई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जब मैंने किया प्रेम
वह समय नहीं था
वह प्रेम था समय से पहले
जब समय था प्रेम का
समय ने कुछ कहा नहीं
मैं दुखी था,
वह शोक किसका था-
उसका, प्रेम का या समय का?
समय निकलने के बाद
फिर हो गया है प्रेम
या लौट कर आया है प्रेम!
समय से पहले का प्रेम
और समय के बाद का प्रेम
होता है कष्टकारक
ठीक समय पर
होता ही नहीं प्रेम!