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अभिसार / विद्यापति
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सखि हे, आज जाएब मोहि।।
घर गुरूजन-डर न मानब, वचन चूकब नाहि।।
चाँदन आनि-आनि अंग लेपब, भूषण कए गजमोती।।
अंजन विहुँन लोचन-युगल धरत धवल जोती।।
धवन बसनें तनु झपाओब गमन करब मन्दा।।