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मोती कभी पलकों से गिराए नहीं हमने... / देवी नांगरानी

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सपने कभी आंखों मे बसाए नहीं हमने

बेकार के ये नाज़ उठाए नहीं हमने|


दौलत को तेरे दर्द की रक्खा सहेज कर

मोती कभी पलकों से गिराए नहीं हमने|


आई जो तेरी याद तो लिखने लगी गज़ल

रो रो के गीत औरों को सुनाए नहीं हमने|


है सूखा पड़ा आज तो, कल आयेगा सैलाब

ख़ेमे किसी भी जगह लगाए नहीं हमने|


इतने फ़रेब खाए हैं ‘देवी’ बहार में

जूड़े में गुलाब अब के लगाये नहीं हमने||