भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अभिवादन / कीर्तिनारायण मिश्र

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:02, 4 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कीर्तिनारायण मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आइयो आँजुरि नहि खुजि सकल
आ तरहत्थीकेर बीचमे
समर्पण केर फूल पिसा कए रहि गेल।
आइयो अर्द्धनिमीलिते रहल नेत्र
आ आँखिक कोरमे
अभिवादन केर चित्र नोर बनल रहि गेल।

आइयो अकम्पित रहल ठोर
प्रश्नातीत मुद्रा
निश्चल अंग-प्रत्यंग।

कतेक भरिगर रहै ओ साओन
जे अपन सम्पूर्ण आवेगमे समेटने
बिनु बरसले चलि गेल।