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पहिल तारीख / रामानुग्रह झा

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चूल्हा आइ ठंडा,
जरए न जारनि
जरि रहल जरलाहा
लक्ष्मी, सीता, सावित्री
शाप-विग्रहित नल-दमयन्तीकेर
धूल-धूसरित जर्जर काया-
बेटर हाफ।
श्रम-स्वेद-सिक्त सुन्दर सिन्दूर-बिन्दू
यमुनाक कछेरमे सरस्वती उमड़ि भेलीह गंगा।
विच्छिीन्न केश, आर्द्राक मेघ,
सर्दियाह घर-आँगन उजड़ल-
अपर हाफ।
फूलवती गर्भवती कुमारि मन-कुन्ती केर
बढ़ि रहल कुण्ठा, थर्मामीटरक पारा।
धूम भरल, स्वाती उमड़ल
पल-पल पर पसरल ओस-
साफ-साफ।
व्याकुल बेमन, अनमन सब खन
ऊपरमे आकाश, भरल तारागण
सीता एकसरि बैसि अशोक-वन
ताकि रहल आंगुर पर एकटक
तारीख पहिल, तारीख पहिल-
जागि-जागि।