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ईश्वर / विवेक निराला

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(अपने गुरू सत्यप्रकाश मिश्र के लिए)


लोग उसे ईश्वर कहते थे ।


वह सर्वशक्तिमान हो सकता था

झूठा और मक्कार

मूक को वाचाल करने वाला

पुराण-प्रसिद्ध, प्राचीन ।


वह अगम, अगोचर और अचूक

एक निश्छ्ल और निर्मल हँसी को

ख़तरनाक चुप्पी में बद्ल सकता है ।


मैं घॄणा करता हूँ

जो फटकार कर सच बोलने

वाली आवाज़ घोंट देता है ।


ऎसी वाहियात सत्ता को

अभी मैं लत्ता करता हूँ ।