भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
म्हनैं ठाह है : च्यार / रमेश भोजक ‘समीर’
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:22, 19 जुलाई 2013 का अवतरण ('<poem>म्हनैं ठाह है भाग माथै पड़्या है भाठा कैवतो थको म...' के साथ नया पन्ना बनाया)
म्हनैं ठाह है
भाग माथै
पड़्या है भाठा
कैवतो थको मिनख
चढ जाया करै है
आपरी आंगळियां रै भरोसै
भाठां री दुकान माथै।