भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार / धनंजय वर्मा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:14, 13 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनंजय वर्मा |संग्रह=नीम की टहनी / ध...' के साथ नया पन्ना बनाया)
इक पंछी परेवा
रंगीन परों वाला
वादी में मोहकता की
उड़ता फिरता है ।
दौड़ो तो
पकड़ने को,
भागता है ।
कभी-कभी
अयाचित अनचाहा
घुसता है कमरे में
हकालो तो बार-बार
मँडराता है
अहेतुक
टीसता है ।