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कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ / काका हाथरसी

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प्रकृति बदलती छण-छण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो|
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो |
भाग्य वाद पर अड़े हुए हो|

छोरो मित्र ! पुरानी डफली,
जीवन मी परिवर्तन लाओ |
परंपरा से ऊंचे उठ कर ,
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |

जब तक घर मे धन संपति हो,
बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |
पढो, लिखो, शादी करवा लो ,
फ़िर मानो यह बात हमारी |

माता पिता से काट कनेक्शन,
अपना दरबा अलग बसाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |

करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको,
पैसे की है सख्त ज़रूरत |
अर्थ समस्या हल हो जाए,
शीघ्र निकालो ऐसी सूरत |

हिन्दी के हिमायती बन कर,
संस्थाओं से नेह जोड़िये |
किंतु आपसी बातचीत में,
अंग्रेजी की टांग तोड़िये |

इसे प्रयोगवाद कहते हैं,
समझो गहराई में जाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |

कवि बनने की इच्छा हो तो,
यह भी कला बहुत मामूली |
नुस्खा बतलाता हूँ, लिख लो,
कविता क्या है, गाजर मुली |

कोश खोल कर रख लो आगे,
क्लिष्ट शब्द उसमेँ से चुन लो|
उन शब्दों का जाल बिछा कर,
चाहो जैसी कविता बुन लो |

श्रोता जिसका अर्थ समझ लेँ,
वह तो तुकबंदी है भाई |
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,
वह कविता है सबसे हाई |

इसी युक्ती से बनो महाकवि,
उसे "नई कविता" बतलाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |

चलते चलते मेन रोड पर,
फिल्मी गाने गा सकते हो |
चौराहे पर खड़े खड़े तुम,
चाट पकोड़ी खा सकते हो |

बड़े चलो उन्नति के पथ पर,
रोक सके किस का बल बूता?
यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे,
भारत में बाटा का जूता |

नई सभ्यता, नई संस्कृति,
के नित चमत्कार दिखलाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |

पिकनिक का जब मूड बने तो,
ताज महल पर जा सकते हो |
शरद - पूर्णिमा दिखलाने को,
'उन्हें' साथ ले जा सकते हो |

वे देखेँ जिस समय चंद्रमा,
तब तुम निरखो सुघर चाँदनी |
फ़िर दोनों मिल कर के गाओ,
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |
( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..)

आलू छोला, कोका - कोला,
'उनका' भोग लगा कर पाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|