भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रउरा आँखिन से झर गइल पानी / जगन्नाथ

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:21, 30 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगन्नाथ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रउरा आँखिन से झर गइल पानी
हमरा आँखिन में भर गइल पानी

हमरा रोवला के अर्थ लागल हऽ
हमरा आँखिन के गिर गइल पानी

खुद के ऐनक में देख के लागल
जइसे घइलन बा पर गइल पानी

जिन्दगी का निसा चढ़ल बाटे
उम्र के बा उतर गइल पानी

अपना पानी प ऊ रही कइसे
जेकरा आँखिन के मर गइल पानी