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मन के बछरू छटक गइल कइसे / दिनेश 'भ्रमर'

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मन के बछरू छटक गइल कइसे,
नयन-गगरी ढरक गइल कइसे।
हम ना कहनी कुछु बयरिया से,
उनके अँचरा सरक गइल कइसे।।