भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन के बछरू छटक गइल कइसे / दिनेश 'भ्रमर'
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:01, 30 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश 'भ्रमर' |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मन के बछरू छटक गइल कइसे,
नयन-गगरी ढरक गइल कइसे।
हम ना कहनी कुछु बयरिया से,
उनके अँचरा सरक गइल कइसे।।