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झूमर / भोलानाथ गहमरी

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डोले चइत-बइसखवा पवन,
हंसि मारे अगिनिया के बान…..
धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया,
तार-तार हो गइली धानी चुनरिया,
कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…..
दिनवा त दिनवा विकल करे रतिया,
चांदनी के छन-छन जस लागे छातिया,
कांपेला भोरहीं सुरुज से गगन…….
तलवा-तलैया के जियरा लुटाइल,
केकरो विरह नदिया दुबराइल,
पंछी पियासा के तड़पेला मन…..