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ठेस लागी समय ठहर जाई / वीरेन्द्र नारायण पाण्डेय
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ठेस लागी समय ठहर जाई
घर ई फूस के तितकी से जर जाई।
डाली जाल कवनो मछुआरा
फँसल मछरी तड़प के मर जाई।
बाँटी समय इतिहास के कमाई
ऊब के ना कोई जहर खाई।
किरिन बेधी करेजा अन्हार के
दिशा-दिशा में अँजोर भर जाई।
भीत नया उठी भहराई जर-जर
सहजे मातल दरद बिसर जाई।