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जीव गान / प्रेम शर्मा

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नाहिन चाहिबे
नाहिन रहिबे
हंसा व्है उड़ि जइबे रे !

काया माया
खेल रचाया
             आपु अकेला
             जग में आया
भीतर रोया
बाहिर गाया
नाहिन रोइबे
नाहिन गाइबे
तम्बूरा चुपि रहिबे रे !

सब सुख सूने
सब दुख दूने
             पात पडंता
             मरघट-धूने,
नेह बिहूने
गेह बिहूने
             अगिन पंख
             झरि जइबि रे,
नाहिन जीइबे
नाहिन मरिबे
मरन-कथा क्या कहिबे रे !