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कियां समझाऊं / राजूराम बिजारणियां
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कियां समझाऊं
भाईजी.!
कै क्यूं पैर्या
थारा गाभा
हुई कियां हिम्मत
थारो रूमाल लेवण री
कोनी पैरूं फगत
फुटरापै सारू.!
कवच री गरज पाळै
थारा गाभा
ढाल बणै रूमाल
बधावै हौसळो ई
किणीं बडेरै दांई
हर बगत
घर सूं
निकळती बेळा!!
इण नाजोगै बगत में
थारा गाभा पैरण रो मतळब
धणियाप ई हुवै
आप माथै।