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बसंत अर पतझड़ / राजूराम बिजारणियां

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मा री आंख्यां
तिर आया आंसू
हरख रा
बीनणी नै
बधावती बेळां.!

नवी-लुवार बीनणी साथै
आयो दायजो
डाक‘र बैठ्यो
दादी रै दायजै रै
बुगचै री ठौड़।

आंसू तो तिरै हा
लेखो-जोखो सांवटती
दादी री
आंख्यां में ई

पण फरक हो.!

बसंत अर पतझड़ जितरो।