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बज्जर बट्ट / राजूराम बिजारणियां
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‘‘नब्बै माथै
खरोखरी
भळै गुड़काय लिया
नौ बरस.!
...अजै टमरका करूं।’’
पोतिया बीनणी नै
कड़तू पकड़यां
हांफरड़ै आई देख
जोर सूं हांसी
टाबर दाणी
हरखी दादी।
बीनणी.!
आंख्यां फाड़
जोवै ही
पून में फड़फड़ावतै
लिफाफै दाणीं
बौखै मूंडै सूं
निकळतां
हंसोड़ हरफां में
पड़ सासू री
बज्जर बट्ट
काया रो राज.!