भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मादा / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:18, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण
भोर भोर
फरांस पर बेठी लीलटांस
चाणचक ही उड़गी,
आभे रे अणपार लीलास में
जागगी कोई याद
कोई सपनूँ,
ऊँची र ऊँची
उड़ती गई
लारे छुट्ग्यो आलो
मोबी बचिया
अबे बा
कोनी माँ
खाली माता है !