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पीड़ रो अमरित / कन्हैया लाल सेठिया
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मथ‘र
मन रो
समन्दर
काढयो
सबद रै
घड़ै में
पीड़ रो
अमरित,
कोनी
भाज्या लारै
देवता‘र राकस
जाणै इण
संजीवण रो
सुवाद
खाली मिनख री
संवेदना !