भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पतिंगा / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:49, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोनी आवै
मान‘र लौ नै
चम्पा री कळी
रस रा लोभी
भंवरा,
चढ़सी
ईं सोनै री सूळी
बै भावुक पतिंगा
जकां नै है
च्यानणै स्यूं हेत !