भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

झूठ साच / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:29, 19 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खुलै
सुंवैं चौपड़ै
झूठ रै मै‘ल री
पोळ
बड़ज्या
दड़ाछंट
होदै समेत हाथी
ऊभी
गांव रै गौरवैं
इकलखोरड़ी साच री झूंपड़ी
बड़ सकै मांय
नवा‘र माथो
कोई चेतना रो धणी !