भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नेता‘र जनता / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:39, 19 अक्टूबर 2013 का अवतरण
समझली
सत्ता रा लोभी
नेता
जनता नै
कान में
टांग्योड़ी बीड़ी,
सिलगा दै
जणां कणाईं
काढ‘र
चुनाव री तूळी,
फेर कोनी छोडैं
निमधा
बापड़ी लार
जठै तांईं
नहीं दाझै
बां री
आपरी आगळ्यां !