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फरक ! / कन्हैया लाल सेठिया

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खोल‘र
सींगां स्यूं
ओढाळयोड़ो मोड़ो
डकरवौ
मैथी रै लाडुआं हिल्योड़ो
गऊशाळा रो गोधो,
देख‘र साख्यात
सिव रो नांदियो
हुज्यावै न्याल
घर धिराणी,

अरड़ावै
बाखळ में ऊभी
भूखी आईंणी गाय
पण कोनी
धर धणी नै
बीं नै नीरणै खातर
औसाण !