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पिया, भरती मैं हो लै ने / हरियाणवी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
पिया, भरती मैं हो लै ने,
पट जा छत्तरीपन का तोल !
जरमन मैं जाकर लड़िए,
अपने माँ-बाप का नाँ करिए ।
ओ तोपों के आगे उड़िए,
अपनी छाती मैं दे खोल ।
पिया, भरती मैं हो लै ने,
पट जा छत्तरीपन का तोल !
भावार्थ
--'प्रियतम ! जाओ, फ़ौज में भरती हो जाओ । मुझे भी तो पता लगे कि तुम कितने बड़े क्षत्रिय हो । जाओ
और जाकर जर्मनों से लोहा लो । अपने मात-पिता का नाम उज्ज्वल करो । जाओ, तोपों के सामने जाकर अड़
जाओ । उनके सामने अपनी छाती खोल दो । फ़ौज में भरती हो जाओ, प्रियतम! ताकि यह मालूम हो जाए कि
तुम वास्तव में सच्चे क्षत्रिय हो ।'