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सिवा एक समय के / अमृता भारती
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यहीं कहीं है वह
सिर्फ़ कुछ क़दम
मैं उसे देख सकती हूँ
एक क़दम और
मैं उसे छू सकती हूँ
यहीं कहीं है वह
मेरा पूरा संसार
मेरा आज तक का अकेलापन --
वह चल सकता है --
कुछ भी नहींरुकता है
उसके अन्दर
सिवा एक समय के ।