भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूतल सेजरिया सखिया देखेली सपनवाँ / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:43, 22 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सूतल सेजरिया सखिया देखेली सपनवाँ
निरमोही कान्हा बंसिया बजावेलें हो लाल।
सब सखी मिली जुली गावेली कजरिया।
से राधारानी झुलुआ झुलावेली हो लाल।
जमुना किनारे सखिया कदम के गछिया,
निरमोही कान्हा चीरवा चोरावेलें हो लाल।
कहत महेन्दर कान्हा नान्हें के रसिया
से नाहके पिरीतीया लगावेलें हो लाल।