भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमसे सहलो ना जाला ई जुदाई ऊधो जी / महेन्द्र मिश्र

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:27, 23 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमसे सहलो ना जाला ई जुदाई ऊधो जी। हमसे।
रहि-रहि मन करे फँसरी लगइतीं गरे।
जाके जमुना में डूबी-धँसी जाईं ऊधो जी।
मथुरा में बसी गइलें कुबिजा से फँसि गइलें
कुबजा कवन जादू दिहली चलाई ऊधो जी।
कवन अइसन रस पवलन चीनी छोड़ मीठा खइलन
महेन्द्र खूबे दिहलन कन्हाई ऊधो जी।