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रात की आह / हरकीरत हकीर
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जब सूरज डूबता 
रात तारों को ओढ़ कर 
उसके घर की ओर चल देती 
उसकी आँखों में 
सच्चाई देख … 
श्मशान में दीया जलता 
ज़िन्दगी धीमे से 
आह भरती … 
रात कांपते हाथों में 
गुलाब पकड़े 
कब्र में छुप जाती ….
 
	
	

