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अदालतों का गीत / पवन करण
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कोउ बचाए कोउ बचाए
अदालतन से कोउ बचाए
सालें इनमें लड़त है गए
जीना उतरत चढ़त है गए
सम्मन बारंट पढ़त है गए
झूठी सच्ची गढ़त है गए
भाग दौड़ से पार लगाए
कोउ बचाए कोउ बचाए
रोज सुनार्इ करतीं नर्इयें
झटट फैसला पढ़ती नर्इयें
गलतीं इनकीं किनसे कहियें
बस तारीखें देती जर्इयें
तारीख गवाही नाच नचाएँ
कोउ बचाए कोउ बचाए
फाइलें हमरीं मोटी है गर्इं
फीसें चढ़कर चोटी गह गर्इं
सूखी हमरीं रोटी है गर्इं
उम्मीदें खिलकौटी है गर्इं
उठापटक की मिली सजाए
कोउ बचाए कोउ बचाए