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बहुत रह लिया उदासी में / ओसिप मंदेलश्ताम

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बहुत रह लिया मैं इस उदासी में,
मेज़ पर पसार दूँगा काग़ज़,
आज मैं वश में हूँ एक भले प्रेत के ।
लगता है जैसे फ़्राँसिसी हेअर-ड्रेसर ने
शैम्पू से जड़ों तक धो डाले हैं मेरे बाल ।

मैं अभी मरा नहीं - तैयार हूँ शर्त बदने के लिए,
तैयार हूँ जॉकी की तरह सिर दाँव पर लगाने के लिए,
अब भी रेस कोर्स में दिखा सकता हूँ करतब -
सवार हो सकता हूँ दुलत्‍ती मारते घोड़े पर ।

पूरा अहसास है मुझे -
यह वर्ष उन्‍नीस सौ इकतीस है,
चेरी के फूलों में खिल उठा है यह खूबसूरत साल,

प्रौढ़ हो गए हैं बरसात के कीड़े
और पूरा मास्‍को सवार है छोटी-छोटी नावों पर ।

उद्विग्‍न होने की ज़रूरत नहीं
पर ऐयाशी होगा धीरज खोना,
उल्‍लासहीन मैं निकल सकूँगा सड़क पर
बनाए रखूँगा ज़रूरी फ़ासला ।

मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह