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विदा / प्रभात
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यादों को भी
विदा कहने का
वक़्त आएगा
इच्छा और उदासी
जैसे पक्के रंग भी
छूट जाएँगे
पानी से
खाली घासों की तरह
सूख जाएँगी जब याद
करुणा के जल को भी
विदा कहने का वक़्त आयेगा