भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पेड़-8 / अशोक सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:07, 10 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)
पेड़ पर लिखते-लिखते
कई लोग पेड़ हो गए
और बोलते-बोलते पेड़ की तरह मौन
पर अफ़सोस !
पेड़ों को लेकर
वर्षों से चल रही बहस में शामिल लोग
आज पेड़ क्यों नहीं हो जाते ?