भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वप्न से किसने जगाया? / महादेवी वर्मा

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:51, 15 नवम्बर 2007 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वप्न से किसने जगाया?
मैं सुरभि हूं।
छोड कोमल फूल का घर,
ढूंढती हूं निर्झर।
पूछती हूं नभ धरा से-
क्या नहीं र्त्रतुराज आया?

ंमैं र्त्रतुओं में न्यारा वसंत,
मैं अग-जग का प्यारा वसंत।

मेरी पगध्वनी सुन जग जागा,
कण-कण ने छवि मधुरस मांगा।

नव जीवन का संगीत बहा,
पुलकों से भर आया दिगंत।

मेरी स्वप्नों की निधि अनंत,
मैं र्त्रतुओं में न्यारा वसंत।