भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अलग-अलग हो सकती हैं रुचियाँ / व्लदीमिर मयकोव्स्की

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:54, 24 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=व्लदीमिर मयकोव्स्की |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घोड़ी ने
देखा ऊँट को,
और हिनहिना कर हँसी।
 
"कैसी जबरदस्त
सनक है घोड़ी की !"
 
जवाब टिकाया ऊँट ने
"तुम एक घोड़ी?
तकरी बन नहीं!
तुम हो एक अविकसित ऊँट
मात्र।"

और सिर्फ़ ईश्वर ही
वास्तव में सर्वज्ञ था
जानता था कि स्तनधारी थे वे
अलग-अलग नस्ल के।

1929