भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बगत रो माळी / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:51, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=कूं-क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बगत रो माळी,
सींची सूरज रै झौर स्यूँ
आभै री बाड़ी,
गोभी रै फूल सा
सोरणाँ तारा,
पाक्योड़ै खरबूजै सो
गोळ मटोळ चाँद,
बाड़ी नै सूनी देख’र
बडग्या बादलियाँ रा साँड़,
धाप्योड़ाँ री धडक
ठेठ भौम ताँई सुणीजै !