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झीणूँ बायरो सुहावै / कन्हैया लाल सेठिया
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झीणूँ बायरो सुहावै,
ताती लू खारी लागै,
धुँवै स्यूँ जीव अमूझै,
पण काजळ बिन्याँ
आँख कुँआरी लागै !