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आपाधापी / कन्हैया लाल सेठिया

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सोरो
नींद में
सूतै नै जगाणो
पण दोरो
जगाणो जागतै नै,
आ कैवत
सोळै आना साची
सो क्यूं जाण’र
जका ताकलै काची
बां भंऊं कीं
भूंडी न आछी
मान ‘र
आपाधापी नै धरम
नाख दै सरम
बां स्यूं तो भली
रोही री सुन्याड़
जकी पाड़यां हेलो
देवै पडूतर !