Last modified on 28 नवम्बर 2013, at 13:32

कविता ! / कन्हैया लाल सेठिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:32, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीकल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कांई हुवै
ले’र बैठयां
कागद’र कलम
बिना संवेदणा
कोनी हुवै
सिरजण
मनैं ठा है
तनैं है सगळा छन्दां रो
ज्ञान
थारै कनै है
अखूट सबदां रो भंडार
 पण कविता
कोनी कोई कारीगरी
आ तो है अबोल
अंतस री ऊंडी पीड़
जकी आवै बार
जद मथीज’र
हिवड़ै रो समन्दर
बण ज्यावै आदमी री आतमा
परमेसर !