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बीज.. / कन्हैया लाल सेठिया

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मती उछाळ गैला
आभै कानी
बीज
चाहीजसी आं नै
पग रोपण नै रेत
पछै तो
मतै ही काढसी नोरा
आपरै कांनी आणै तांईं
मोटो सूरज
ओढ़ासी
सोनल तावड़ी रो दुपटो
पैरासी
घुमट’र बादळ
मोत्यां री माळा
करसी सगळा
लाड’र कोड
पण
चाहीजै पैली
आं नै
मावड़ी माटी री आशीष !